अन्दर कोई हैं

गाड़ियों में जाने-अनजाने आदमी भागते जा रहे हैं....
मैं भी भाग रहा हूँ, तेज बहुत तेज...
अन्दर कोई हैं जो कह रहा हैं- भाग ले कितना भी तेज मंजिल नहीं मिलेगी...

दोस्तों के घर सजे हैं सुन्दर नियाब चीजों से...
मैं भी सजा रहा हूँ घर, चीजे ढूंढ ढूंढ...
पर कोई हैं जो हँस रहा हैं- घर सुन्दर सजाने से तू तो सुन्दर नहीं होगा...

मेरे साथी सम्बन्धी भर रहे हैं तिजोरियां...
मैं भी जुटा हूँ पैसे कमाने में...
पर पा रहा हूँ अन्दर अब भी खाली हूँ...
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